भिंड लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद भागीरथ प्रसाद के लिए इस बार लोकसभा का टिकट पाना और जीतना किसी भागीरथी प्रयास से कम नहीं होगा। एट्रोसिटी एक्ट के कारण सवर्णों को नाराज कर चुके भागीरथ प्रसाद अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के दावों को पूरा नहीं कर पाए। भागीरथ प्रसाद के प्रमुख वादों में
ये वादे नहीं हुए पूरे-
रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इलाके में उद्योग स्थापित करना
चंबल के बीहडों का समतलीकरण करके बागान लगवाना और स्थानीय लोगों को रोजगार देना
भिंड जिले के छात्रों के लिए उच्च तथा टेक्निकल शिक्षा के लिए कॉलेज स्थापित करना
शामिल हैं
भागीरथ प्रसाद के लिए बिगड़े समीकरणों की तस्वीर हाल के विधानसभा चुनाव में साफ नजर आ चुकी है। पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में भाजपा इस बार 2018 में भाजपा 99 हजार से अधिक मतों से पिछड़ रही है। भिंड जिले की पांच सीटों में से अटेर पर जीत मिली है। 2014 लोकसभा और 2018 विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो कांग्रेस ने लगभग 2.5 लाख मतों की बढ़त बनाकर भाजपा को घेर लिया है।