मध्यप्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सबसे अधिक चार बार यहां से सांसद चुनी जा चुकी हैं। लेकिन इस बार भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। सतना के नागौद से आकर खजुराहो सांसद बने नागेंद्र सिंह ने वैसे तो पूरे साढ़े चार साल ही खजुराहो से दूरी बनाए रखी लेकिन अब वो नागौद से विधायक बन गए हैं और सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस तरह खजुराहो लोकसभा सीट सांसद विहीन है और भाजपा यहां के लिए जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही है। खजुराहो लोकसभा की आठों विधानसभा सीटों की बात करें तो 2013 में जहां भाजपा ने कुल चार लाख सत्ततर हजार छै सौ बान्वे वोट लेकर पांच सीटें जीती थीं वहीं कांग्रेस ने तीन लाख छप्पन हजार तीन सौ अट्ठावन वोट पाकर तीन सीटें जीती थीं। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को कुल चार लाख चौहत्तर हजार नौ सौ छियासठ वोट मिले थे वहीं कांग्रेस को दो लाख सत्ताईस हजार चार सौ छियत्तर वोट मिले थे। लेकिन इस बार 2018 के विधानसभा चुनावों में वोटों का अंतर काफी कम हो गया है। भाजपा के कुल पांच लाख तैंतीस हजार सत्तर वोटों की तुलना में कांग्रेस के चार लाख तेतालीस हजार नौ सौ अड़सठ वोट मिले हैं। नागेंद्र सिंह मोदी लहर में लगभग 2.5 लाख वोटों के अंतर से जीते थे लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में बढ़त घटकर 89 हजार पर सिमट गई है। खजुराहो से भाजपा के सांसद रह चुके रामकृष्ण कुसमारिया ने बगावत करके जहां वोटों का गणित बिगाड़ दिया है वहीं नागेंद्र सिंह के विधायक बनने के बाद अब भाजपा के लिए इस बार खजुराहो से जिताउ उम्मीदवार का संकट सामने नजर आ रहा है।