पूरे चित्रकूट में उस समय मातम पसर गया। जब जुड़वा भाईयों की अर्थी शहर से निकली। जुड़वाँ भाई प्रियांश और श्रेयांश एक साथ पैदा हुए, एक क्लास में पढ़े, एक साथ उनका अपहरण हुआ, एक साथ मौत के घाट उतारे गये, एक साथ एक ही अर्थी में उनकी शवयात्रा निकली , एक ही चिता में अंतिम संस्कार हुआ, और एक साथ ही दोनो पंच तत्व में विलीन हो गए। उनकी मौत के मातम पर आंसू भी कुछ ज्यादा ही बहे। शायद हमेशा साथ रहने वाली आंखें भी इनके साथ को समझ रही थी।