भीमा मंडावी की मौत के बाद क्या असर पड़ेगा बीजेपी पर?

बस्तर के कद्दावर भाजपा नेता और विधायक भीमा मंडावी की नक्सली हमले में मौत बीजेपी के लिए काफी बड़ा झटका है। मंडावी बस्तर इलाके में बीजेपी के एकमात्र विधायक थे। नक्सल प्रभावित इलाके में बीजेपी की जड़ें जमाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। खास बात ये है कि भीमा मंडावी संघ की भी पंसद थे। मंडावी को जिताने के लिए संघ ने काफी काम किया था और उनके निधन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी काफी नुकसान हुआ है।

कौन थे भीमा मंडावी?
गदापाल के रहने वाले भीमा मंडावी बजरंग दल और आरएसएस के बैकग्राउंड से आने वाले नेता थे। पहले मंडावी दंतेवाड़ा के पंचायत सचिव बने और बाद में बस्तर का टाइगर कहे जाने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता महेंद्र कर्मा को 2008 के विधानसभा चुनावों में हराया। इस जीत के बाद बीजेपी और आरएसएस में भीमा मंडावी की छवि एक कद्दावर नेता के रूप में उभरी। हालांकि 2013 में भीमा मंडावी महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती वर्मा से हार गए थे लेकिन 2018 में फिर देवती के खिलाफ लड़े और चुनाव जीता।
मंडावी अपने सौम्य और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण कांग्रेस की लहर और गढ़ में भी जीते थे। संघ से जुड़े होने के कारण संघ ने उन्हें विधानसभा चुनाव में जितवाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया था और यही कारण है कि पूरे बस्तर संभाग की 12 सीटों में से बीजेपी से जीतने वाले सिर्फ भीमा मंडावी थे।

भीमा मंडावी की मौत के बाद बस्तर इलाके में बीजेपी और संघ को तगड़ा झटका लगा है जिसकी भरपाई करना काफी मुश्किल हो सकता है। वहीं इस घटना ने इलाके में नक्सलियों के बढ़ते मंसूबों की भी झलक दे दी है।

(Visited 30 times, 1 visits today)

You might be interested in

LEAVE YOUR COMMENT