मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हार चुकी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव आने तक भी कोई सबक नहीं लिया और अभी भी नेताओं और कार्यकर्ताओं में तालमेल का अभाव दिखाई दे रहा है।चुनावी विश्लेषकों की मानें तो लोकसभा चुनाव में प्रदेश की अधिकांश सीटों पर बीजेपी बिखरी-बिखरी नजर आ रही है। कभी अपने चुनावी मैनेजमेंट के लिए जानी जाने वाली पार्टी में मिसमैनेजमेंट ज्यादा दिख रहा है। स्थिति ये है कि पार्टी उम्मीदवार अपने बूते ही किले लड़ाने में जुटे हुए हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता तो दूर साधारण कार्यकर्ता भी उत्साह के साथ सक्रियता नहीं दिखा रहे। चुनावी सभाओं में भी भीड़ जुटाने के लिए कार्यकर्ता जोर नहीं लगा रहे। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी बैठकों तक ही सीमित नजर आ रहे हैं या फिर अपने चहेते उम्मीदवारों के इलाकों में मुंह दिखाई की रस्म अदा कर रहे हैं। अपने लोकसभा क्षेत्र में चुनाव खत्म होने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं हुए। प्रचार की ज्यादातर कमान पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ही संभाली हुई है। पार्टी के आनुषांगिक संगठन और मोर्चा प्रकोष्ठ भी इस पूरे चुनाव में निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा, अनुसूचित जाति-जनताति मोर्चा, व्यापारी प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को मानो कोई जिम्मेदारी ही नहीं दी गई है और जमीनी स्तर पर इनकी सक्रियता नजर नहीं आ रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरी बीजेपी इन लोकसभा चुनावों में बिखरी-बिखरी नजर आ रही है और लगता है कि अभी तक विधानसभा चुनावों में हार का शोक ही मना रही है। जानकारों का कहना है कि कहीं ऐसा न हो कि शोक दुगना हो जाए।