बाबा का असल नाम नामदेवदास त्यागी है। उनके शिष्यों के मुताबिक तेज दिमाग, स्मार्ट वर्किंग व कार्यशैली के कारण उनको यह नाम मिला है. 1998 के आसपास कम्प्यूटर का युग गति पकड़ रहा था. नरसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साधु-संतों ने नामदेवदास महाराज की तेज कार्यशैली को देखते हुए उनका नाम कम्प्यूटर बाबा रख दिया. हालांकि कई बार खुद कंप्यूटर बाबा ने बताया है कि ये नाम उन्हें दिग्विजय सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में दिया था।
2013 में कंप्यूटर बाबा अचानक सुर्खियों में आ गये थे जब उन्होंने कुंभ मेले में हेलीकॉप्टर से आने की अनुमति मांगी थी। वह इंदौर के दिगंबर अखाड़ा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिगंबर अखाड़ा से जुड़े श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी का इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम बना हुआ है। जहां वो रहते हैं। महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा लैपटॉप, फेसबुक के अलावा महंगी एसयूवी और हेलीकॉप्टर का शौक रखते हैं। उन्हें हेलीकॉप्टर से सफर और फेसबुक पर भक्तों से चैटिंग काफी पसंद हैं। कहा जाता है कि बाबा को हेलिकॉप्टर से कुछ ज्यादा ही लगाव है। 2011 में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से कंप्यूटर बाबा ने जनसंपर्क किया था। हालांकि कंप्यूटर बाबा का विवादों से भी काफी नाता रहा है। 2011 में इंदौर में चल रहे मालवा महाकुंभ मेले में बाहर से हिस्सा लेने आए साधु-संतों ने कंप्यूटर बाबा के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया था। इन्हें कंप्यूटर बाबा ने मालवा महाकुंभ में रहने, खाने-पीने की सुविधा के साथ 15 सौ रुपये दक्षिणा का वादा करके बुलाया गया था। लेकिन कहा जाता है कि किराया देना तो दूर साधुओं को 100-100 रुपये पकड़ा दिए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन साधुओं ने कंप्यूटर बाबा के पोस्टर पर जूते मारते हुए नारेबाजी की थी। जानकारी के मुताबिक कंप्यूटर बाबा ने साल 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचने का सपना देखा था जो पूरा नहीं हुआ। इनका कांग्रेस के साथ जुड़ाव काफी पुराना है। 2018 में कुछ समय के लिए बीजेपी के करीब आए और फिर वापस कांग्रेस से जुड़ गए। फिलहाल दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा की वैतरणी पार कराने की जिम्मेदारी कंप्यूटर बाबा ने अपने कंधे पर उठाई हुई है।