हालांकि भोपाल लोकसभा सीट पर रविवार को वोटिंग होना है और 23 मई को ये साफ भी हो जाएगा कि भोपाल की जनता ने अपने सांसद के रूप में साध्वी प्रज्ञा या दिग्गी राजा में से किसको चुना है। तो ये तो तय है कि दोनों में से किसी एक को जीत मिलेगी और एक को हार। अब साध्वी का तो मान लिया कि हारने के बाद वापस अपने धर्म-कर्म आध्यात्म, प्रवचन में लग जाएंगी लेकिन अगर दिग्गी राजा हार गए तो? ..ये कोई ऐसा हायपोथेटिकल सवाल नहीं है कि जो असंभव है…ऐसे बहुत से कारण गिनाए जा सकते हैं जिससे ये माना जा सकता है कि दिग्विजय सिंह भोपाल लोकसभा चुनाव हार सकते हैं। तब दिग्विजय सिंह क्या करेंगे ये एक बड़ा सवाल है। पिछले पंद्रह सालों से सक्रिय राजनीति से बाहर रहे दिग्विजय सिंह ने हालांकि इसके बारे में सोच रखा होगा और हमारा मानना है कि उन्होंने कोई फुल प्रूफ प्लान भी बना रखा होगा लेकिन पहले हम कयासों से शुरू करते हैं- क्या हार के बाद दिग्गी राजा एक बार फिर सक्रिय राजनीति से बाहर हो जाएंगे और फिर कभी कोई चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर देंगे और बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल की तरह कांग्रेस संगठन में वरिष्ठ-बुजुर्ग नेता की तरह विराजमान हो जाएंगे। हालांकि जिस तरह से दिग्विजय सिंह को कांग्रेस और मध्यप्रदेश की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है उसको देखते हुए ऐसा लगता नहीं। वैसे अभी दिग्विजय सिंह के राज्यसभा सांसद का कार्यकाल बाकी है और वो फिर से राज्यसभा के जरिए दिल्ली जा सकते हैं। ये भी हो सकता है कि दिग्विजय सिंह पूरी तरह राजनीति से सन्यास लेकर मां नर्मदा की सेवा में सपत्नीक अपना बाकी जीवन बिताने की घोषणा कर दें। नर्मदा के प्रति उनके अगाध प्रेम को देखते हुए इसे असंभव भी नहीं माना जा सकता है। वैसे दिग्विजय सिंह ने भी ये प्लान बना रखा है दो दिन पहले उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया था कि उन्होंने नर्मदा के किनारे जमीन खरीद ली है और अब उनका विचार बाकी की जिंदगी अमृता भाभी के साथ नर्मदा किनारे झोपड़ा डालकर भजन पूजन करने का है। राजपाट कुंअर जयवर्धन संभाल ही रहे हैं, मार्गदर्शन के लिए भैया लक्ष्मण हैं ही तो इस बात की पूरी संभावना है कि हार के बाद दिग्गी राजा नर्मदा किनारे- भजन करेंगे-भजन करेंगे भजन करेंगे…