मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाले इंदौर शहर में पिछले आठ चुनावों से लगातार सुमित्रा महाजन बीजेपी की ओर से सांसद बनती आ रही थीं लेकिन इस बार परिदृश्य बिलकुल नया है। बीजेपी ने ताई के बजाय यहां से शंकर लालवानी को टिकट दिया है जो कि इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं, लालवानी बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं कांग्रेस ने एक बार पहले भी सुमित्रा महाजन के सामने लोकसभा चुनाव लड़ और हार चुके पंकज संघवी पर भरोसा जताया है। हालांकि शंकर लालवानी की उम्मीदवारी को लेकर बीजेपी के भीतर भी कुछ लोगों में नाराजगी है, वोटर भी उतना उत्साहित नहीं है लेकिन पंकज संघवी कांग्रेस का जिताऊ चेहरा हो पाएंगे ये कह पाना मुश्किल है। उज्जैन लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से BJP ने वर्तमान सांसद चिंतामणि मालवीय का टिकट काटकर अनिल फिरोज़िया पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस ने बाबूलाल मालवीय को मैदान में उतारा है। उज्जैन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बीजेपी यहां से 7 बार चुनाव जीत चुकी है और उसमें से 6 बार सत्यनाराणय जटिया यहां से सांसद रहे हैं। ये लोकसभा सीट भी बीजेपी का गढ़ है देवास लोकसभा सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इस सीट पर भी बीजेपी का कब्जा है। इस बार देवास से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही नए चेहरों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने जहां कबीर भजन गायक पद्मश्री प्रहलाद टिपाणिया को टिकट दिया है वहीं बीजेपी ने कोर्ट रूम छोड़कर राजनीति में आने वाले महेंद्र सिंह सोलंकी पर भरोसा जताया है। देवास लोकसभा सीट भी बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। इस बार भी बीजेपी का पलड़ा इस सीट पर भारी नजर आ रहा है।
निमाड़ अंचल की खंडवा लोकसभा सीट पर दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के बीच दिलचस्प मुकाबला है। कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने वर्तमान सांसद और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान नंदू भैया पर फिर से भरोसा जताया है। हालांकि दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार भितरघात की समस्या से जूझ रहे हैं। अरुण यादव को बाहरी उम्मीदवार बताते हुए निर्दलीय शेरा भैया ने मोर्चा खोल दिया था लेकिन कमलनाथ की समझाइश पर मान गए हैं वहीं नंदू भैया पर अर्चना चिटनीस और उनके समर्थकों की नाराजगी भारी पड़ सकती है। ये देखना दिलचस्प होगा कि नंदू भैया और बीजेपी अपनी इस सीट को बचा पाते हैं या नहीं।
धार-महू लोकसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां से बीजेपी ने वर्तमान सांसद सावित्री ठाकुर का टिकट काटकर छत्तरसिंह दरबार को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से दिनेश गिरवाल मैदान में हैं। हालांकि पहले इस सीट से कांग्रेस की ओर से गजेंद्र सिंह राजूखेडी का टिकट तय माना जा रहा था लेकिन बाद में दिनेश गिरवाल को टिकट मिल गया जिसके कारण राजूखेड़ी खेमे की ओर से भितरघात की पूरी संभावना है। वैसे गिरवाल और राजूखेड़ी दोनों ही सिंधिया खेमे से आते हैं। हालांकि इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक के लिए प्रचार करने धार नहीं आए, जिसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। वहीं सावित्री ठाकुर का टिकट कटने का असर छत्तर सिंह दरबार पर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा। वैसे हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां पर ज्यादा सीटें जीती हैं और माना जा रहा है कि इस सीट पर बीजेपी को चुनौती मिल सकती है।
खरगोन लोकसभा सीट भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां पर बीजेपी हैट्रिक लगाने की फिराक में है। बीजेपी ने वर्तमान सांसद सुभाष पटेल का टिकट काटकर गजेंद्र पटेल को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने भी नए उम्मीदवार डॉ.गोविंद मुजाल्दा पर दांव खेला है। हालांकि डॉ. मुजाल्दा का स्थानीय कांग्रेसियों में विरोध है और यही कारण है कि इस सीट पर उनकी स्थिति उतनी अच्छी नजर नहीं आ रही है। खरगोन के अधिकांश कांग्रेस कार्यकर्ता अरुण यादव का प्रचार करने के लिए खंडवा जाते रहे हैं और मैदान में कांग्रेस का प्रचार कम ही रहा। वहीं बीजेपी के उम्मीदवार गजेंद्र पटेल पूर्व शिक्षा मंत्री उमराव सिंह पटेल के बेटे हैं और इलाके में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। गजेंद्र पटेल बीजेपी अनूसूचित जाति जनजाति मोर्चा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं और कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत संपर्क रखते हैं। इस लिहाज से अगर इस सीट से बीजेपी की हैट्रिक हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है।
ये लोकसभा सीट भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। बीजेपी सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया यहां से जीतकर सांसद बने थे। इस बार फिर से कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के उम्मीदवार हैं जिनके सामने बीजेपी ने विधायक जीएस डामोर को मैदान में उतारा है। जीएस डामोर विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हरा चुके हैं और अब पिताजी को हराने की फिराक में हैं। कांतिलाल भूरिया का इलाके में काफी विरोध भी है वहीं भितरघात भी कम नहीं है। कुल मिलाकर इस बार अगर ये सीट कांतिलाल भूरिया बचा पाते हैं तो बहुत बड़ी बात होगी।
मालवा-निमाड़ अंचल की इस अनारक्षित सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है जिसमें सबसे ज्यादा बार लक्ष्मीनारायण पांडे यहां से सांसद रहे हैं। फिलहाल बीजेपी के सुधीर गुप्ता यहां से सांसद हैं जिनका टिकट बीजेपी ने रिपीट किया है और कांग्रेस ने भी 2009 में यहां से सांसद रहीं राहुल गांधी की खास मीनाक्षी नटराजन को टिकट दिया है। पिछली बार सुधीर गुप्ता ने मीनाक्षी को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इस बार भी इस इलाके की 8 में से 7 विधानसभा बीजेपी के कब्जे में हैं और मीनाक्षी के लिए यहां जीतना आसान नहीं होगा।