पूरा मामला जांजगीर-चांपा जिले के कमरीद का है जहां छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं में प्रमुख योजना के अंतर्गत पशुओं के लिए गौशाला बनाई जा रही है जिसमें सरपंच पतराम कश्यप द्वारा शासन के नियम को ठेंगा दिखाते हुए काली ईंट का इस्तेमाल ना करते हुए लाल ईट का इस्तेमाल करके शासन को चुनौती दे रहे हैं वही देखा जाए तो यह काम मनरेगा के तहत कराया जा रहा है जिसमें इंजीनियर और रोजगार सहायक का प्रमुख योगदान रहता है इस कार्य में इंजीनियर और रोजगार सहायक द्वारा सरपंच पतराम कश्यप को भ्रष्टाचार करने में सहयोग नहीं किया जा रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता इसमें इंजीनियर और रोजगार सहायक का भी मिलीभगत से यह कार्य हो रहा है अन्यथा शासकीय नियम के अनुसार शासकीय कार्य में लाल इट का उपयोग नहीं किया जा सकता और इस कार्य में सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य में लगाए जा रहे लाल ईट के टुकड़े-टुकड़े ईटो का भी उपयोग किया जा रहा है वही शासन आंख मूंदे बैठे हैं जिससे अधिकारियों पर भी सवालिया निशान खड़ा होना लाजिमी है