मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने अपने करियर की शुरुआत कपड़ा मिल में मजदूर के रूप में की और बाद में मध्य प्रदेश के सीएम बने। बाबूलाल गौर के नाम सबसे ज्यादा बार विधायक चुने जाने का भी रिकॉर्ड है। आइए जानते हैं बाबूराम गौर के बाबूलाल गौर और एक मजदूर से एमपी का सीएम बनने की कहानी। खुद बाबूलाल गौर ने कई बार बताया है कि उनका असली नाम बाबूराम यादव है। गौर का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। स्कूल में उनके साथ दो बाबूराम यादव और पढ़ते थे जिसके कारण टीचर किसी एक को बुलाते थे तो तीनों चले आते थे। बाबूलाल गौर ने बताते हैं कि वे टीचर की सभी बातों को बड़े गौर से सुनते थे इसलिए टीचर ने उनका नाम बदलकर बाबूराम गौर कर दिया। भोपाल आए तो लोगों ने बाबूराम की जगह बाबूलाल बुलाना शुरू कर दिया और इस तरह उनका नाम बाबूलाल गौर हो गया। भोपाल में बाबूलाल गौर एक कपड़ा मिल में मजदूरी करते थे जहां उन्हें रोज 1 रुपए मजदूरी मिलती थी। इसी दौरान बाबूलाल गौर भारतीय मजदूर संघ में शामिल हो गए और जनसंघ में भी उनकी सक्रियता बढ़ गई। 1971 में बाबूलाल गौर ने जनसंघ के टिकट पर भोपाल से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन 16 हजार वोटों से हार गए। लेकिन उसके बाद जयप्रकाश नारायण के कहने पर बाबूलाल गौर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। तब से अब तक बाबूलाल गौर के नाम पर 10 बार विधायक बनने का रिकॉर्ड है। 1991 में सुंदरलाल पटवा की सरकार में पीडब्लूडी मिनिस्टर रहे बाबूलाल गौर को अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के काऱण बुलडोजर मंत्री का खिताब मिला था। 2004 में उमा भारती के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के नाते मुख्यमंत्री बनाया गया। करीब 11 महीने तक बाबूलाल गौर ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज संभाला। उसके बाद पार्टी के अंदरूनी फैसले के चलते शिवराज सिंह चौहान ने उनकी जगह ली। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बाबूलाल गौर ने टिकट की दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया लेकिन उनकी बहू को उनके विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया। बाबूलाल गौर इस समय 89 साल के हैं और अभी तक काफी एक्टिव रहे। हालांकि पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत काफी खराब है और सभी नेताओं ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।