जब गोवर्धन में आपदा आई थी लगातार इंद्र भगवान ने लगातार बारिश की थी तब कृष्ण भगवान ने लोगो को बचाने के लिए एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था और लोगो की रक्षा की थी इसी परपम्परा का निर्वाह करते हुए परासिया में देखने को सामने आया है छिंदवाड़ा जिले के परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जाटाछापर गाँव इन दिनों आकर्षण का केंद्र बना हुआ है यह हर वर्ष पोला पर्व के अवसर पर मठुआ देव की पूजा की जाती है मठुआ देव एक 40 से 50 किलो का पत्थर है जिसकी ग्रामीणों द्वारा पूजा की जाती है यहाँ के लोग इस 40 किलो के पत्थर को 12 आदमी 12 उंगलियों से एक साथ ऊपर उठाकर निचे रखते है जिसके बाद गाँव का हर व्यक्ति एक एक करके उठाता है और निचे रखता है पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने मिलकर अपनी एक तर्जनी से भारी पत्थर अपने सिर तक उठाने की अनूठी परम्परा का निर्वाह किया है ग्रामीणों का मांनना है की इस पूजा से प्रसन्न होकर मठुआदेव ग्रामीणों और पशुओ की संक्रामक बीमारियों से रक्षा करते है मठुआदेव की पूजा और 12 का अपनी एक एक अंगुली से भारी पत्थर को हवा मैं उठाने की पुरानी परंपरा आज भी पूरी निर्वाह के साथ करते है इस प्रकार का अन्धविश्वास भारत मैं अक्सर देखने को कही न कही मिलता है स्थानीय ग्रामीणों ने बताया की पूजा स्थल के पास एक लगभग 40 किलो की गोलाकार शिला रखी हुई है पूजा अर्चना के बाद विशेष मंत्र उच्चारण कर 12 ग्रामीण अपने दाए हाथ की एक एक तर्जनी ( ऊँगली ) से इस शिला को हवा मैं उठाते है लगभग 6 फिट तक शिला को ऊपर उठाने के बाद उसी तरह उसे नीचे रख दिया जाता है इस प्रक्रिया को देखने के लिए लोग दूरदराज से आते है यहाँ परम्परा 5 पीढ़ियों से चली आ रही है और यह सब मठुआदेव की कृपा से ही संभव हो पाता है और मनोकामनाएं पूरी होती है इस दौरान बड़ी संख्या मैं लोग उपस्थित थे