भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा हर साल की तरह इस साल भी डोलग्यारस के दिन नरसिंह घाट ले जाकर विधिविधान से नदी की पूजा पाठ व सभी मंदिरों पर आरती के बाद साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा तीन बार नदी में तैराई गई… कहते हैं कि तीनों बार प्रतिमा तैरती है तो प्रदेश का साल अच्छा रहता है…. दो बार तैरती है तो आठ माह अच्छे रहते हैं और एक बार तैरती है तो चार माह… इस साल तीनों बार प्रतिमा तैराई गई… हर वर्ष नरसिंह घाट पर लाखों श्रद्धालू इस पाषाण प्रतिमा के दर्शन लाभ लेने के लिए दूर—दूर से आते हैं… भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा पर जो पुष्प माला तैराने के बाद अर्पित की जाती हैं….उस माला की फिर बोली लगाई जाती है… औश्र जो सबसे बड़ी बोली लगाता है उसे यह माला दी जाती है….सबसे बड़ी बोला इस बार समाज सेवी यशराज टोंग्या की रही