सुनिए जनाब, ये सियासत नहीं साथ निभाने का वक्त है

पूरा प्रदेश बाढ़ के पानी से तरबतर है. लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हैं. खासतौर से नीमच और मंदसौर में पानी ने त्राहि त्राबहि मचा दी है. सियासी गलियारों में भी बाढ़ का पानी खूब चढ़ा है. ये उबाल अतिवर्षा की वजह से नहीं बल्कि ये तो राजनीति की गर्मी है जिसके केंद्र में इन दिनों नीमच और मंदसौर हैं. यहां त्रेसठ गांव बाढ़ से पीड़ित हैं. जिन्हें राहत दिलाने के लिए काम कम सियासत ज्यादा हो रही है. बाढ़ की खबर सुनते ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन गांवों का जायजा लेने पहुंच गए. सूबे के मुखिया का पद भले ही वो गंवा बैठे हों लेकिन अपनी पुरानी मामा वाली छवि को कायम रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. राहत शिविर में जाकर अपने हाथ से खाना बांट रहे हैं. और मौका मिलता है तो सरकार को भी घेर ही लेते हैं.वो जो चाह रहे थे कांग्रेसी खेमे में उसका असर भी दिखाई दिया. सरकार के स्तर से कोई जवाब तो नहीं आया लेकिन पूर्व पीसीसी चीफ अरूण यादव उन्हें मंदसौर गोलीकांड की याद दिलाना नहीं भूले. सियासत का फर्ज अदा करने में कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी भी पीछे नहीं रहे.  लेकिन ये ट्वीट करते हुए यादव शायद ये भूल गए कि फिलहाल बाढ़ पीड़ितों के पुराने जख्म कुरेदना मुनासिब नहीं. अभी तो घड़ी है उनके साथ खड़े होने की और जिंदगी की तरफ वापस लौटने की. न्यूज लाइल एमपी.कॉम की रिपोर्ट

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