मध्यप्रदेश की सियासत के लिए झाबुआ सीट सबसे अहम थी… जिसे जितने के लिए कांग्रेन ने एड़ी-चोटी की जोर लगा दि… लगाते भी क्यों नहीं एक सीट से बहुमत का आकड़ा जो छूना था… लेकिन आज हम आपको 4 ऐसे चेहरों के बारे में बताने वाले हैं जिनके दम पर कांग्रेस ने यह सीट अपने पाले में कर लि…
पहला नाम आता है… खुद मध्यप्रदेश के मुखिया का..
कमलनाथ ने इस सीट के लिए अपनी पुरी ताकत झोंक दी…. क्योंकि उन्हें भी पता था इस सीट का क्या महत्व है…. इसलिए खुद कमलनाथ ने झाबुआ उपचुनाव में कमान संभाली…. और पुरे चनाव को इन्हीं के मार्गदर्शन में लड़ा गया…
दूसरा नाम आता है… नवनिर्वाचित विधायक कांतिलाल भूरिया का… भूरिया का राजनीतिक कैरियर काफी लम्बा है…. जिसका फायदा कांग्रेस को इस चुनाव में साफ तौर पर मिला…. हालांकि कांतिलाल भूरिया को इससे पहले झाबुआ की जनता कुछ माह पहले ही लोकसभा चुनाव में नकार चुकी थी… लेकिन विधायकी के चुनाव में भूरिया का मुकाबला भूरिया से हुआ जिसमें कांतिलाल भूरिया बाजी मार गए…
तीसरा नाम है… दिग्वजय सिंह का…. दिग्गी राजा इस जीत के तीसरे सूत्रधार है क्योंकि उन्होंने इस उपचुनाव में भूरिया के तरफ से प्रचार करते हुए कहा था कि यह कांति का आखरी चुनाव है… इस बयान का काफी प्रभाव पड़ा कांग्रेस की जीत पर पड़ी ….
चौथा नाम है… जेवियर मेडा का… मेडा ने इस चुनाव में कांतिलाल भूरिया का खुल कर समर्थन किया… जिसका ही परिणाम है की भूरिया इस सीट को निकाल पाने में सफल हुए… आपको बतादें कि इससे पहले मेडा 2018 के विधानसभा चुनाव में बागी हो गए थे… और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 30 हजार वोट काट लिए थे… जिसका फायदा भाजपा को हुआ था… और भूरिया पुत्र को हार का सामना करना पड़ा था….