झारखंड की जनता का चुनावी मूड कोई भी पार्टी पूरी तरह से समझ नहीं पाई है… जनता का चुनावी ट्रेंड हमेशा बदलावों से भरा रहता है. जनता एक बार जिसे चुन लेती है, उन्हें ज्यादातर मामलों में दोबारा नहीं चुनती…. दूसरी बार चुनाव में जीत दर्ज करना विधायकों के लिए मुश्किल भरा होता है… प्रदेश के 81 विधायकों में 50 प्रतिशत से अधिक विधायक दूसरी बार में चुनाव हार जाते हैं… कुछेक सीट ही ऐसी हैं, जहां से लगातार एक ही व्यक्ति विधायक बनता रहा हो. झारखंड निर्माण के बाद से अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं. 2005, 2009 और 2014 में. इन चुनावों में ज्यादातर मतदाताओं ने विधायकों के परिवर्तन के लिए ही मतदान किया है… साल 2005 के विधानसभा चुनाव में 50 विधायक ऐसे थे, जो दोबारा जीत कर नहीं आ सके. 2009 के चुनाव में 61 विधायकों को जनता ने बदल दिया. 2014 के विधानसभा चुनाव में 55 विधायकों को जनता ने घर बैठा दिया… कई सीटों पर उम्मीदवार से नाखुश होने की जानकारी होने पर भी पार्टियां अपने उम्मीदवार को बदल देती हैं… जिसके कारण पार्टियों में बड़े पैमाने पर विधायकों के टिकट कटते हैं. इस बार भी माना जा रहा है कि भाजपा, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई विधायकों का टिकट कटेगा और नये चेहरे को मौका मिलेगा…