महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. पर शिवसेना के पास अभी एक मौका और है. वो चाहें तो अब भी महाराष्ट्र की जनता पर एक और चुनाव का बोझ थोपने के आरोपों से बरी हो सकती है. और राष्ट्रपति शासन से भी बचा सकती है. पर जरूरी होगा कि शिवसेना सोचसमझ कर और जल्दी किसी फैसले पर पहुंच जाए. क्योंकि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी सरकार बनाने की गुंजाइश अभी खत्म नहीं हुई है. धारा 356 लगने के बाद भी महाराष्ट्र में सरकार गठन के रास्ते बंद नहीं हुए हैं. राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अब अगर कांग्रेस, बीजेपी, एनसीपी और कांग्रेस में से कोई भी पार्टी राज्यपाल के पास सरकार बनाने के लिए जाती है. और गवर्नर को विश्वास दिलाने में पार्टी कामयाब रहती है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. ऐसी स्थिति में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन को खत्म करने की सिफारिश कर सकते हैं. हालांकि इसमें भी आखिरी फैसला गवर्नर का ही होगा. ऐसे में राजनीतिक दलों के पास अब भी मौका है कि वो बहूमत हासिल करें या अपने अपने स्तर पर बहूमत की जुगाड़ करें. हो सकता है राज्यपाल उन्हें एक मौका और दे दें.