कुर्सी के लिए शिवसेना हर समझौता करने के लिए तैयार है. कम से कम इन दिनों जिस दिशा में शिवसेना बढ़ रही है उसे देखते हुए तो ऐसा ही लगता है. मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना उन दलों से गठबंधन कर रही है. जो उसकी विचारधारा से बिलकुल अलग रहे हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या शिवसेना अब वीर सावरकर को भूल जाएगी. पूरा मसला समझने से पहले संजय राउत के इस बयान को सुन लीजिए. अपने इस पुराने बयान में संजय राउत सावरकर के लिए सम्मान की मांग कर रहे हैं.
बाइट- संजय राउत, शिवसेना नेता
संजय राउत जो इन दिनों महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार को लेकर बेहद मुखर हैं. और अपनी ट्वीट्स के जरिए पार्टी में जोश फूंक रहे हैं. वही राउत सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग भी कर चुके हैं. जिस पर कांग्रेस और एनसीपी कभी राजी नहीं होंगे. तो क्या कुर्सी की खातिर शिवसेना अब अपने पुराने वादे और इरादे भी भूल जाएगी. सत्ता पाने के लिए शिवसेना क्या सावरकर से कर लेगी तौबा. इस सवाल का जवाब मिलना बाकी है.