सोनिया गांधी के नाम की शपथ लेकर ये शिवसैनिक तो सरकार बनाने के लिए तैयार हो गए. कुर्सी चीज ही ऐसी है. जिसकी खातिर उसूलों से समझौते हो जाते हैं. गिले शिकवे कुछ देर के लिए ही सही ताक पर रख दिए जाते हैं. महाराष्ट्र में नई खिचड़ी सरकार भी तो इसी तरह उसूलों सिद्धातों और विचारधाराओं को परे धकेलकर बनी है. राम के नाम पर राजनीति करती रही और सावरकर के नाम का गुणगान करती रही शिवसेना कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रही है. कांग्रेस ने तो एक बार सोचा भी. सोनिया गांधी ने विचारधारा से समझौता करने में कुछ वक्त भी लिया. लेकिन फिर सत्ता की खातिर सब एक हो ही गए. पर इन सबके बीच एक शिवसैनिक ऐसा भी है जिसे राम के नाम पर ये राजनीति रास नहीं आई. ये शख्स है रमेश सोलंकी जो अब तक शिवसेना में पदाधिकारी थे. लेकिन जैसे ही शिवसेना ने ऐसी पार्टी से गठबंधन किया जो राम के साथ नहीं है सोलंकी ने शिवसेना छोड़ दी. इस संबंध में धड़ाधड़ ट्वीट किए और अंत में सबका शुक्रिया अदा कर पार्टी छोड़ दी. सत्ता की खातिर शिवसेना जिस विचारधारा को छोड़ चली है. उस वक्त बाला साहेब का ये सच्चा फॉलोअर विचारधारा के एक सिरे को थामे हुए है.