भारत के प्रसिद्ध शैव तीर्थस्थलों में झारखंड के देवघर का बैद्यनाथ धाम बहुत ही महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि यहां के ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके शीर्ष पर त्रिशूल नहीं पंचशूल है. जिसे सुरक्षा कवच माना गया है. लोगों की इस पंचशूल को लेकर अलग-अलग मान्यता है. एसा कहा जाता है की पंचशूल के दर्शन मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं.कहा जाता है की रावण की लंकापुरी के द्वार पर सुरक्षा कवच के रूप में भी पंचशूल स्थापित था. कई धर्माचार्यो का मानना है कि पंचशूल मानव शरीर में मौजूद पांच विकार-काम, क्रोध, लोभ, मोह व ईष्र्या को नाश करने का प्रतीक है. मंदिर के पंडा कहते हैं कि पंचशूल पंचतत्वों-क्षिति, जल, पावक, गगन तथा समीर से बने मानव शरीर का द्योतक है. मान्यता है कि यहां आने वाला श्रद्धालु अगर बाबा के दर्शन किसी कारणवश न कर पाए, तो मात्र पंचशूल के दर्शन से ही उसे समस्त पुण्यफलों की प्राप्ति हो जाती है. इस मंदिर में 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा अन्य 22 मंदिर स्थापित हैं. इसी प्रांगण में एक घंटा, एक चंद्रकूप और प्रवेश के लिए विशाल सिंह दरवाजा बना हुआ है.