सनावद / पंचकल्याणक महोत्सव के पहले दिन बुधवार को पंचकल्याणक महोत्सव स्थल शोरीपुर नगरी में गर्भ कल्याणक पूजन विधि-विधान का कार्यक्रम संपन्न किया गया। पूजन विधान सौधर्म इंद्र-इंद्राणी,पात्र गणों,माताश्री-पिताश्री,महायज्ञ नायक-नायिका द्वारा संपन्न किया गया। प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रम्हचारी पंडित जतीश शास्त्री ने इंद्रसभा,राजसभा एवं महाराजा समुद्रविजय द्वारा सोलह स्वप्नों के फलों का निरूपण पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। तत्पश्चात शोरीपुर से नवीन जिन मंदिर तक विशाल श्रीघटयात्रा का आयोजन किया गया।श्रीघटयात्रा में सौधर्म इंद्र-इंद्राणी जिन मंदिर के छत्र,भामंडल, चँवर,शिखर कलश लेकर चल रहे थे। जिन मंदिर पहुंच कर सौधर्म इंद्र-इंद्राणी ने पूजन पूर्वक जिन मंदिर, वेदी,उपकरण आदि का शुद्धि कार्य संपन्न किया। इसके अलावा जिनवाणी मंदिर में 37 ग्रंथ एवं जिन मंदिर तथा स्वाध्याय भवन में जिनवाणी की विधि पूर्वक स्थापना की गई। श्री माता एवं अष्ट देवियों के बीच तत्वचर्चा तथा पाठशाला के बालक -बालिकाओं द्वारा आध्यात्मिक,सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।