शहरी युवाओं को तकरीबन सौ दिन का रोजगार देने वाली कमलनाथ सरकार की योजना अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रही. इस योजना का नाम है स्वाभिमान योजना. इस योजना के तहत युवाओं को ट्रेनिंग देकर साल में कम से कम सौ दिन का रोजगार मुहैया कराना था. योजना के बारे में सुनकर बड़ी संख्या में युवा इसऔर आकर्षित भी हुए लेकिन बाद में खुद यवाओं ने इससे दूरी बना ली. इसकी वजह थी योजना को अमलीजामा पहनाने में गलती. दरअसल युवाओं की शिकायत है कि ट्रेनिंग सेंटर या तो बहुत दूर है या फिर वो जिस ट्रेड में काम करना चाहते हैं उसकी उन्हें ट्रेनिंग नहीं दी जा रही. एक मोटा अनुमान ये है कि इस योजना में अकेले राजधानी भोपाल में 18092 युवाओं ने रिजस्ट्रेशन करवाया लेकिन सिर्फ 527 युवाओं को रोजगार मिल सका. जबलपुर में जिन युवाओं को रोजगार मिला उनकी संख्या 1316 है जबकि रजिस्ट्रेशन करवाने वालों की संख्या 12296 थी. उज्जैन में 4201 युवाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया फायदा हुए केवल 303 युवाओं को ग्वालियर में भी हाल कुछ ऐसा ही रहा. यहां 9000 युवाओं में से सिक्फ 120 को योजना का लाभ मिला. प्रदेश के बाकी जिलों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को किस तरह पलीता लग रहा है.