सिंधिया राजघराने के महाराज से क्या उम्मीद होगी कि वो नजाकत, नफासत और तहजीब के मामले में भी राजा ही होंगे. लेकिन एक कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो किया उसे कतई ये नहीं कहा जा सकता कि ये बात तहजीब के दायरे में आती है. ये कार्यक्रम था सेवादल का. जिसमें सिंधिया ने कार्यकर्ताओं को अपने हाथों से खाना खिलाया. खैर इसमें कोई गलत बात नहीं है. लेकिन गलत ये है कि सिंधिया ने खाना थाली में नहीं परोसा. बल्कि सीधी उन्हीं बर्तनों को जूठा कर दिया जो खाना सर्व करने के लिए रखा गया था. पहले एक निवाला कार्यकर्ता को खिलाया फिर उसी बर्तन से खुद खाया. अब महाराज के आगे कार्यकर्ता क्या कह सकते थे वो तो इसी बात पर खुशी मनाते रहे कि महाराज उन्हें अपने हाथों से खान खिला रहे हैं. सिंधियाजी भी पेपर नैपकीन से हाथ पोंछ कर चलते बने. हाथ तो साफ हो ही गए लेकिन अपने कार्यकर्ताओं को रिझाने के चक्कर में तहजीब भी पोंछ डाली.