बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहली शर्त ये थी कि उनके समर्थकों को सरकार में ओहदा मिले. जिस पर बीजेपी आलकमान हामी भी भर चुका है. इस बीच खबर ये भी आई कि तुलसी सिलावट को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. पर अब लगता है कि ये काम इतना आसान नहीं होगा. सिंधिया के सबसे कट्टर समर्थक तुलसी सिलावट को साधने के लिए बीजेपी को अपने कई पुराने नेताओं को नाराज करना होगा. पर ये भी तय है कि उनकी नाराजगी भी सरकार पर भारी पड़ेगी. दरअसल सिलावट इंदौर के सांवेर से विधायक थे. कमलनाथ सरकार में उन्हें स्वास्थ्य जैसा अहम विभाग मिला हुआ था. पर इसी क्षेत्र से बीजेपी की ऊषा ठाकुर और रमेश मेंदोला और महेंद्र हार्डिया भी दावेदार हैं. मालवा से सिर्फ दो ही लोग मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में अगर सिलावट को ज्यादा त्वज्जो दे दी गई तो बीजेपी में असंतोष फैलेगा ही. यानि सिंधिया समर्थक को खुश करने के लिए पार्टी को अपने ही नेताओं की बलि चढ़ानी होगी. या तलाशना होगा ऐसा विकल्प जिससे दोनों के काम बन जाएं.