कांग्रेस पार्टी ने देश में लंबा वक्त गुजरते देखा है. देश बनते देखा है तो राजेरजवाड़े उजड़ते देखे हैं. सियासत में जीत, हार का हर पैंतरा खेला है. लोग जुड़ते देखे हैं तो अब अपने युवा लोगों को टूटते देख रही है. इस टूट के साथ वो पीढ़ी बिखर रही है जिसके पुरखों ने कांग्रेस को अपने पसीने से सींचा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो पार्टी के युवा साथी खामोश रहे. अब उसी दौर से राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुजर रहे हैं. तो युवा पीढ़ी भी उनका दर्द महसूस कर रही है. और उस दर्द को अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर जता भी रही है. प्रिया दत्त ने भी सचिन पायलट के जाने पर ट्वीट कर दुख जताया है. प्रिया ने लिखा एक और फ्रेंड चला गया. सचिन और ज्योतिरादित्य दोनों अच्छे साथी और अच्छे दोस्त थे. बदकिस्मती से कांग्रेस ने दो दिग्गज और संभावना वाले नेताओं को खो दिया. महत्वकांक्षी होना गलत नहीं होता. पार्टी के बुरे वक्त में दोनों ने बहुत मेहनत की थी. इस ट्वीट के जरिए प्रिया ने ये तो जता दिया कि पार्टी के गलत फैसलों के खिलाफ वो अपनी बात रखने का दम रखती हैं. उनकी मां नर्गिस और पिता सुनील दत्त ऐसा नहीं कर सके थे. आपको बात दें कि दोनों ही कांग्रेस से जुड़े हुए थे. सुनील दत्त तो लंबे समय तक सांसद भी रहे. नर्गिस से जुड़ा आपताकाल का किस्सा मशहूर है. जब देवानंद और दिलीप कुमार सरीखे नेता इंदिरा सरकार को विरोध कर रहे थे. उस वक्त नर्गिस ने अपने साथी कलाकारों को शांत रहने और सरकार का साथ देने की सलाह दी थी. यकीनन उस वक्त वो पार्टी के लिए उनकी निष्ठा थी. पर समय के साथ साथ ये साफ हो चुका है कि आपातकाल देशहित में नहीं था. अब कम से कम उनकी अगली पीढ़ी यानि कि प्रिया दत्त में ये माद्दा तो है कि वो गलत को गलत कहने का साहस रखती हैं. विनम्र शब्दों में ही सही पर प्रिया ने पायलट पर अपनी ही पार्टी के फैसले की खिलाफत तो की ही है.