हाल ही में अमित शाह का एक बयान वायरल हुआ है. बयान ये कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे. अफकोर्स गठबंधन की जीत के बाद. लेकिन नीतीश को भरे मंच से नेता घोषित करना बीजेपी की खुशी या ख्वाहिश नहीं है बल्कि मजबूरी है. क्योंकि गठबंधन टूटने का काफी खामियाजा बीजेपी अब तक महाराष्ट्र और झारखंड में भुगत चुकी है. जाहिर है पार्टी नहीं चाहेगी कि बिहार में भी हाल झारखंड या महाराष्ट्र जैसा ही हो. इसलिए नीतीश को अपना नेता चुनना और भरी सभा में अमित शाह का ये ऐलान करना कि मुख्यमंत्री नीतीश ही होंगे. ये अपनी सत्ता बचाने के लिए बीजेपी की मजबूरी है.