सुप्रिया सुले और अजित पवार की गले मिलते वाली तस्वीर से शुरू करें
ये महज एक तस्वीर नहीं है. गौर से देखें तो इस तस्वीर में एनसीपी का भविष्य छुपा हुआ दिखाई देगा. तेईस नवंबर तक जिस सुप्रिया सुले को प्रदेश की राजनीति से अलग चेहरा बताया जा रहा था. वही अब एनसीपी की राजनीति का केंद्र बनी नजर आ रही हैं. चाचा की पार्टी में अजित पवार अब तक नंबर दो पर थे. लेकिन जब सुबह का भूला घर लौटता है तब घर तो मिल जाता है लेकिन वही जगह नहीं मिलती. अजित के साथ भी यही हुआ. डिप्टी सीएम का पद भी हाथ से गया. पार्टी में नंबर दो की रैंक से भी फिसल गए. अब पार्टी में नंबर एक पर शरद पंवार के बाद दो से लेकर पांचवे पायदान पर कोई नजर आता है तो सिर्फ सुप्रिया सुले. जो महाराष्ट्र के सियासी ड्रामे के बीच कब नेपथ्य से निकलकर कर सबसे आगे आ गईं पता ही नहीं चला. पहले भाई के पार्टी और परिवार तोड़ कर जाने का एलान. फिर भाई की घर वापसी में सबसे बड़ी भूमिका निभाना. अक्सर महिलाओं को होममेकर का दर्जा दिया जाता है सुप्रिया सुले इस वक्त पार्टी मेकर बन कर उभरी हैं. जिस गर्मजोशी से भाई की वापसी का स्वागत किया उसी आत्मविश्वास के साथ एनसीपी के एक एक विधायक से मुलाकात की. अजित पवार भी लौटे तो सबसे पहले अपनी बहन के ही गले मिले. उस तस्वीर में सुप्रिया के चेहरे की हंसी और अजित की आंखों की शर्मिंदगी साफ कह रही थी कि अब अजित सुप्रिया से काफी पीछे धकेले जा चुके हैं. जिस बहन को पीछे कर वो एनसीपी के वारिस बनने वाले थे अब वही बहन पार्टी की कर्ताधर्ता नजर आ रही हैं. एनसीपी के करीबी नेता तो ये भी कह चुके कि अब एनसीपी में ये ताई युग की शुरूआत है.