याद कीजिए वो चुनाव जब नरेंद्री मोदी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे. उस वक्त हवाओं में एक जुमला उछल रहा था अच्छे दिन आने वाले हैं. लोगों ने आव देखा न ताव बस अच्छे दिन का सपना दिखाने वाले को भर भर कर वोट दिए. अब अच्छे दिन आए या नहीं इसका फैसला तो जनता ही कर सकती है. पर आपको बता दें कि उस वक्त मोदीजी के प्रचार और चुनावी रणनीति बनाने का काम संभाला था चुनावी मास्टरमाइंड प्रशांत किशोर ने. प्रशांत किशोर अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का काम संभाल रहे हैं. और उनके लिए गढ़ा है ऐसा जुमला जिसे सुनकर दिल्ली एक बार फिर केजरीवाल की मुरीद हो सकती है. ये जुमला है अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल. उम्मीद तो यही है कि ये जुमला भी दिल्ली के लोगों को पसंद आएगा. और केजरीवाल एक बार फिर सत्ता के सरताज बन जाएंगे.