1992 में बाबरी ढांचा ध्वस्त होता है. और उसके अगले दिन से जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी उपवास रखना शुरू कर देती हैं. अनाज का एक भी दाना ग्रहण न करने का संकल्प उन्होंने सत्ताइस साल पहले लिया था. तीन दशक होने आए लेकिन राम लल्ला की इस भक्त ने संकल्प नहीं तोड़ा. परिवार वाले नाराज हुए. रिश्ते टूटे, समाज ने नाराजगी जाहिर की. उर्मिला के संकल्प को बकवास तक कह दिया लेकिन उर्मिला का व्रत नहीं टूटा. आज कोई 87 बरस की हैं उर्मिला. जिस फैसले के लिए संकल्प लिया. वो फैसला आ चुका है. जो व्रत लिया वही पूरा हुआ है. अदालत ने भी राम मंदिर बनाने का ही फैसला सुनाया है.
बाइट- उर्मिला चतुर्वेदी, राम भक्त
पर भक्तन का मोह देखिए कि संकल्प अब भी नहीं छूटा है. पहले संकल्प मंदिर बनने तक का था अब संकल्प अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने का है. उम्र गुजर रही है. जिंदगी भाग रही है पर मजबूत इरादे आज भी कायम हैं. क्या पता रामलल्ला भी इस भक्त से मिले बगैर ज्यादा दिन न रह सकें और वो दिन भी आ जाए जब उर्मिला अयोध्या में रामल्ला को निहार रही हों. और पूरा परिवार भक्त और भगवान के इस अद्भुत मिलन का साक्षी बन जाए.