मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में जंगल के बीच एक साधू का आश्रम है. इस दुर्गम स्थल में सीताराम बाबा एक कुटिया बना कर रहते है . इस कुटिया की खास बात यह है कि यहां के बाबा जैसे ही अपने सीतारा बजा कर भगवान का भजन करना शुरुकरते है . वैसे ही सीतारे और भजन की धुन सुनकर जंगल के भालू का एक दल श्राद्ध भाव से बाबा के पास आजाता है . इस भालू के दल में एक नर व मादा भालू व दो शावक है .और जब तक बाबा रामदीन का भजन गायन चलता है . तब तक बड़े ही श्रद्धा भाव से भजन का आनंद ले प्रसाद ग्रहण कर वापस जंगल चैली जाते है . खास बात यह कि ये हिंसक भालू जब तक भजन व पूजा पाठ चलता है . तब तक किसी को कोई नुकशान नही पहुचते . यह इनका रोज का काम है . इन को देखने के लिए लोग दूर दूर से आये है . साथ ही लोग इसे मनोरंजन के रूप में देखने आते है . भालुओं के भक्ति का गाथा की कहानी मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़ में भी खूब मशहुर है . वही बाबा ने बताया कि कभी मुशीबत पड़ने पर जब भी उन्हें पुकारते है वे मदद के लिए भागे चले आते है .