छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष कर्मा को प्रदेश सरकार डिप्टी कलेक्टर बनाने जा रही है। खास बात ये है कि आशीष कर्मा को बगैर पीएससी पास किए डिप्टी कलेक्टर बनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। कांग्रेस सरकार के इन फैसले के बाद पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल आ गया है। भाजपा ने सीधे डिप्टी कलेक्टर बनाए जाने पर सवालिया निशान लगाते हुए इसे छत्तीसगढ़ के बाकी युवाओं के साथ अन्याय बताया है। विपक्ष का आरोप है कर्मा परिवार को लोकसभा की टिकट की दावेदारी से रोकने के लिए CM भूपेश बघेल तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में पीएससी परीक्षा के माध्यम से भरे जाने वाले डिप्टी कलेक्टर के सिर्फ तीन पद हैं जिसमें से एक पद अनारक्षित है और दो पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति और ओबीसी के लिए कोई पद खाली नहीं है। लोग पीएससी में पास होने के लिए सालों तक मेहनत करते हैं लेकिन अगर उनके सामने कोई बगैर योग्यता के बगैर एग्जाम पास किए डिप्टी कलेक्टर बन जाए तो सचमुच ये उन लाखों युवाओं के साथ अन्याय ही है। विपक्ष का ये भी कहना है कि महेंद्र कर्मा की शहादत को सम्मानित करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन क्या झीरम कांड के अन्य शहीदों के परिवारों को सरकार के तुष्टिकरण के निर्णय से पीड़ा नही हुई होगी? हजारों जांबाज जवान, नक्सलियों से सीधे लड़ते हुए शहीद हुए हैं। उनके परिवारों को दर्द नहीं हो रहा होगा? क्या उनके परिवार के लोगों को भी सरकार ऐसे ही सीधे डिप्टी कलेक्टर बनाएगी?