कहा जाता है कि जब बाढ़ आती है और चीटियों के बिल पानी में डूब जाते हैं तो मछलियां चीटियों को खाती हैं और जब सूखा पड़ता है और पानी की कमी से मछलियां मर जाती हैं तो चींटियां मछलियों को खाती हैं। समय का फेर कुछ इसी तरह होता है। ऐसा ही मामला देखने को मिल रहा है केंद्र की राजनीति में जहां 9 साल पुराना इतिहास दोहराया जा रहा है। 9 साल पहले यानी 2010 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार में पी चिदंबरम गृह मंत्री थे और उस समय अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे। उस समय अमित शाह को सीबीआई ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में गिरफ्तार किया था। तब गिरफ्तारी से ठीक पहले अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस करके खुद को निर्दोष बताया था। कुछ ऐसा ही वाकया 9 साल बाद बुधवार को हुआ लेकिन किरदार बदल गए। तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम अब सीबीआई की गिरफ्त में हैं और 9 साल पहले सीबीआई की गिरफ्त में रहे अमित शाह अब गृह मंत्री हैं। बुधवार 21 अगस्त को चिदंबरम ने भी अपनी गिरफ्तारी से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खुद को निर्दोष बताया। अमित शाह की गिरफ्तारी के समय बीजेपी ने कांग्रेस पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया था आज कांग्रेस वही आरोप बीजेपी पर लगा रही है। सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद अमित शाह 3 महीने तक जेल में रहे। उसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया था। 2012 में अमित शाह गुजरात लौटे और लौटते ही अमित शाह ने गुजराती में एक जुमला बोला था- મારી ઓટ જોઈ કોઈ કિનારે ઘર ન બાંધે, હું સમંદર છું, પાછો આવીશ. जिसका मतलब है कि मेरा पानी उतरते देख, किनारे पर घर मत बना लेना मैं समुन्दर हूँ,लौट कर जरूर आऊंगा… आज अमित शाह पूरे जलवा जलाल के साथ सुनामी बनकर वापस लौटे हैं और इस सुनामी में चिदंबरम और कांग्रेस का जहाज हिचकोले खाता नजर आ रहा है।