बाजार में मिलने वाली चायनीज राखियों को टक्कर देने के लिए अब देशी गायों के गोबर से बनी ईको फ्रेंडली राखियां आ रही हैं। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई शहरों में गौशालाओं में गोबर से राखी बनाकर बाजार में भेजी जा रही है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में नगीना की श्रीकृष्ण गौशाला में ये ईको फ्रेंडली राखी बनाई जा रही हैं। कई वॉलंटियर इस काम में जुटे हैं। यहां बनाई गईं गोबर की राखियां राजधानी लखनऊ में एक संस्था के माध्यम से बाजार में भेजी जा रही हैं। मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में भी गोबर की राखियां बनाई जा रही हैं। वहीं राजस्थान के अजमेर में केकड़ी कस्बे की गौशाला में गोबर से राखियां ही नहीं बल्कि भगवान की सुंदर मूर्तियां बनाकर बाजार में भेजी जा रही हैं। लोगों का कहना है कि इस तरह से बनी राखियां पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं, इनसे सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार भी होता है और सबसे बड़ी बात इन राखियों को बेचने से मिली रकम से गौवंश को बचाने और बढ़ाने का काम किया जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे की गोबर की राखी कैसे बनाई जाती है। जानकारी के मुताबिक गाय के गोबर को सुखाकर उसमें लकड़ी का चूरा और अन्य चीजें मिलाकर राखी का आकार दिया जाता है। इस राखी को खूबसूरत रंगों और पर्यावरण हितैषी सामानों से सजाया जाता है। उम्मीद की जा रही है कि बाजार में इस तरह की राखी आने से लोग ईको फ्रेंडली होने के कारण इन्हें जरूर खरीदेंगे और भाईयों की कलाई पर गोबर से बनी राखियां नजर आएंगी।