बिना किसी सुरक्षा के गटर में उतरने को मजबूर

जाद भारत में औसतन हर दूसरे-तीसरे दिन एक सफाईकर्मी की मौत गटर साफ करने के दौरान होती है. हर साल देश भर में सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करते हुए कई लोगों की जान जा चुकी है . वही कोरबा जिले में कोयला खदानों से लेकर अनेक औद्योगिक प्लांट है . और इनकी आवासीय कालोनियां है . जहां सैकड़ों की तादात में सेप्टिक टैंक और नालियों में काम करने वाले मजदूर हाथ से मैला उठाते हैं . उनको हाथ से मैला उठाने और सेफ्टी टैंक में बिना सुरक्षा उपकरणों के सफाई करने के लिए उतार दिया जाता है . नेशनल सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के मुताबिक हर 5 दिन में एक सफाई कर्मचारी की मौत गटर में होती है .ऐसी तमाम घटनाएं हैं जहां ऐसे मजदूर मीथेन जैसी जहरीली गैसों की सांस लेने या दम घुटने से मर जाते हैं . इनमें से बहुत सारे तो कम वेतन पर ठेके पर नियुक्त होते हैं जो नियमित रूप से नहीं मिलता. हाथ से मैला उठाने वालों की तरह ही उन्हें भी अपने सुपरवाइजरों और उन लोगों से जिनके वातावरण को वे साफ करते हैं . की तरफ से गरिमा और सम्मान की कमी से जूझना होता है. कोरबा प्रीतम जायसवाल कि रिपोर्ट
बाइट …….सिकंदर उर्वशी सफाई कर्मचारी आंदोलन संघ अध्यक्ष कोरबा
बाइट….. आरती सोनकरें सफाई निगरानी समिति सदस्य कोरबा

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