ऐतिहासिक किस्सा, जब साड़ी पहनकर भागा था ये कांग्रेसी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 87 वें अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में नेतृत्व का संकट नजर आ रहा है। 134 साल पुरानी कांग्रेस ने इतने सालों में कई उतार चढ़ान देखे हैं। कांग्रेस का पहला अधिवेशन 27 दिसंबर 1885 को तत्कालीन बंबई में हुआ था। इसकी अध्यक्षता व्योमकेश बनर्जी ने की थी, लेकिन इस अधिवेशन के आयोजन और लोगों को जुटाने में ए.ओ ह्यूम की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसलिए एओ ह्यूम को ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संस्थापक कहा जाता है। कुछ लोगों के मुताबिक ए.ओ.ह्यूम को भी उनके मरने के बाद ही कांग्रेस की स्थापना का श्रेय दिया गया। ए.ओ.ह्यूम अंग्रेज थे और 1889 में सिविल सर्विसेस के जरिए अधिकारी बनकर इटावा आए। जब भारत में आजादी के लिए संघर्ष शुरू हुआ उस समय एओ ह्यूम इटावा के कलेक्टर थे। इतिहास की कुछ किताबों में जिक्र है कि 1857 के गदर के दौरान जब स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज अधिकारियों को मार रहे थे तब एओ ह्यूम को भी जानकारी मिली कि उन्हें मारने के लिए घेरा जा रहा है। कहा जाता है कि जान बचाने के लिए 17 जून 1857 को एओ ह्यूम ने साड़ी पहन कर एक ग्रामीण महिला का वेश धरा और चुपके से इटावा से बाहर निकल गए। जानकारी के मुताबिक साड़ी पहनकर भागे ह्यूम ने इटावा के बाहर बढ़पुरा में छिपकर सात दिन काटे थे। इटावा के पुराने लोग आज भी ये कहानियां सुनाते हैं। हालांकि एओ ह्यूम ने इटावा के विकास में काफी योगदान दिया और सिविल सर्विसेस छोड़ने के बाद भारत के लोगों के हित में काम करने की योजना बनाई। इसी कड़ी में एओ ह्यूम ने कुछ राजनैतिक रूप से जागरूक लोगों का संगठन तैयार किया जिसने बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का रूप ले लिया।

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