मध्यप्रदेश Congress की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले दिग्गविजय सिंह हरल्ले नेताओं की फेहरिस्त में शामिल हो चुके हैं और MP कांग्रेस की राजनीति के नए चाणक्य के रूप में कमलनाथ उभर कर सामने आए हैं। वो इसलिए कि मोदी की सुनामी में भी जहां प्रदेश में राजे महाराजाओं के किले ढह गए वहीं कमलनाथ अपना और अपने बेटे नकुलनाथ का किला बचाने में कामयाब हो गए हालांकि दोनों की जीत का अंतर बहुत कम रहा लेकिन वे खुद को जिताकर ले आए। इसके पीछे कारण बहुत सारे गिनाए जा सकते हैं। लेकिन कमलनाथ को चाणक्य कहने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि मध्यप्रदेश में अब कमलनाथ का कद जितना ऊंचा हो गया है उसके आसपास कोई नेता नहीं ठहरता। कमलनाथ ने एमपी की राजनीति के जितने ध्रुव थे उन सभी को उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव भेज दिया है और अब पॉवर सेंटर सिर्फ एक बचा है वो है कमलनाथ। कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को उनकी इच्छा के विपरीत लोकसभा चुनाव लड़वाया और वो भी उनकी पसंदीदा सीट राजगढ़ से नहीं बल्कि प्रदेश की सबसे कठिन सीटों में से एक भोपाल से। यही नहीं लोगों का तो ये भी कहना है कि गुना सीट से महाराज सिंधिया को हरवाने में भी कहीं न कहीं कमलनाथ का हाथ है। इसके अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस में जितने भी शक्ति के केंद्र रहे चाहे अजय सिंह राहुल हों, अरुण यादव हों, कांतिलाल भूरिया हों ये सभी चुनाव हार चुके हैं। वैसे लोगों का कहना है कि इस पूरी हार से सबसे ज्यादा सुरेश पचौरी और उनके समर्थक खुश हो रहे होंगे क्योंकि अभी तक पचौरी को हरल्ले नेताओं की श्रेणी में शुमार किया जाता रहा है लेकिन अब कोई भी नेता खुद को जिताऊ नहीं बता सकता। खासतौर पर पूर्व चाणक्य दिग्गी राजा क्योंकि पंद्रह साल से हार का ठीकरा अपने सर पर ढो रहे दिग्गी राजा को न तो नर्मदा यात्रा काम आई न कंप्यूटर बाबा का धार्मिक आडंबर। दिग्विजय सिंह ने भोपाल सीट जीतने के लिए साम, दाम दंड भेद जैसे तमाम हथियार इस्तेमाल किए लेकिन उनकी चाणक्य नीति काम नहीं आई और अब ये माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव जीतकर प्रदेश में सरकार बनाने वाले और मोदी की सुनामी में अपना किला बचाकर कांग्रेस के बाकी दिग्गजों को निपटवाने वाले कमलनाथ ही MP कांग्रेस के नए चाणक्य हैं। अब MP कांग्रेस में कमलनाथ सबसे ताकतवर नेता हैं जिनकी बात हाई कमान में भी टालने की गुंजाइश नहीं होगी।