महाराष्ट्र में रातों रात हुआ उलटफेर चौंकाता है. लेकिन भारतीय सियासत का इतिहास इस बात का गवाह है कि ऐसे उलटफेर पहले भी होते रहे हैं. एक वोट से कभी सरकार गिरी है तो कभी एक दिन के लिए सीएम भी बने हैं.
1998 में एनडीए की अटलबिहारी सरकार सिर्फ एक वोट से गिर गई थी. तेरह महीने चली इस सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लगाया. बहस हुई मायावती ने पहले वोट में हिस्सा न लेने का फैसला किया फिर अचानक फैसला बदला और एनडीए के खिलाफ वोट कर दिया. कोरापुट के सांसद गिरधर गोमांग गेमचेंजर साबित हुए जिन्होंने बीजेपी के खिलाफ वोट किया. बीजेपी को 269 वोट मिले और विरोध में पड़े 270 वोट. एक वोट से सरकार गिर गई.
1998 में यूपी की सियासत में भी बड़ा उलटफेर हुए. जब जगदंबिका पाल एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. उस वक्त पाल कांग्रेस के नेता हुआ करते थे. जगदंबिका पाल की सरकार के खिलाफ अटल बिहारी बाजपेयी धरने पर बैठे, और कल्याण सिंह समर्थक हाईकोर्ट तक गए, कोर्ट ने गवर्नर के फैसले पर रोक लगा दी. जिसके बाद अगले ही दिन कल्याण सिंह दोबारा सीएम बन गए.
2014 में नीतीश कुमार ने हारने के बाद जीतनराम मांझी को अपना उत्तराधिकारी चुनाव. लेकिन जब दोनों में मतभेद हुए तो नीतीश ने उन्हें हटाकर खुद सीएम की कुर्सी संभाली.
2018 में कर्नाटक विधानसभा के नतीजे तो सब जानते हैं सबसी बड़ी पार्टी बन कर उभरी बीजेपी बहुमत न होने के चलते सरकार नहीं बना सकी. कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई. लेकिन सियासी उठापटक ने ऐसी पटखनी दी कि चौदह महीने ही ये सरकार चल पाई. इसके बाद येदियुरप्पा फिर सीएम बने.