नरेंद्र मोदी की सूनामी से भारत का विपक्ष ही नहीं दहला हुआ है बल्कि पाकिस्तान में भी हाहाकार मचा हुआ है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि कई आर्थिक जानकारों का कहना है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस समय एशिया में सबसे खराब बताई जा रही है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया एक डॉलर के बदले डेढ़ सौ पाकिस्तानी रुपयों से ज्यादा के बराबर पहुंच गया था। ये स्थिति नेपाली रुपए से भी गई बीती है और एशिया में किसी देश की मुद्रा की डॉलर की तुलना में सबसे खराब स्थिति बताई जा रही है। यही नही पाकिस्तानी शेयर बाज़ार भी पिछले कुछ दिनों से लगातार निचले स्तर पर चल रहा है और एक ही दिन में निवेशकों को हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा डूब गए हैं। स्थिति ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के बाहर अमेरिकी डॉलर ले जाने की सीमा 10 हज़ार डॉलर से घटाकर 3 हज़ार डॉलर कर दी है। पाकिस्तान में महंगाई भी अपने चरम पर पहुंच गई है और आम जनता परेशान हो रही है। वहीं इसके मुकाबले भारत का शेयर बाजार पिछले दिनों बढ़त के साथ खुला और महज़ एक दिन में ही निवेशकों की पूंजी तीन लाख करोड़ से ज्यादा बढ़ गई। जानकारों का कहना है कि ये पूरी स्थिति भारत में दोबारा मोदी सरकार बनने के एग्जिट पोल के कारण बनी है। शेयर बाजार के जानकार बताते हैं कि जिस तरह से देश में बीजेपी को बहुमत मिलने के एग्जिट पोल सामने आए हैं उसको लेकर शेयर बाज़ार में उत्साह का माहौल है और अगर नतीजे भी एग्जिट के मुताबिक ही रहे तो शेयर बाज़ार और ऊपर जा सकता है। वहीं पाकिस्तान में आई आर्थिक मंदी और उसके कारण मचे हाहाकार के पीछे भी लोग मोदी की वापसी को ही कारण बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी को गूगल पर सबसे ज्यादा पाकिस्तान में सर्च किया गया है। लोगों का कहना है कि मोदी वापस सत्ता में आ गए तो पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ जाएंगी और इसी कारण वहां का शेयर बाजार गिर गया है। वैसे कुछ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में आर्थिक मंदी के पीछे कुछ और भी फैक्टर्स हैं। फिलहाल कारण जो भी हो भारत के शेयर बाजार इन दिनों उफान पर हैं और उसी तेजी से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गर्त में जाती नजर आ रही है।