रावण के दो भाई और थे. विभिषण और कुंभकरण. और एक बहन थी शूर्पणखा. रावण के इतने भाई बहनों के बारे में सब जानते हैं. रामायण में इसका पूरा पूरा वर्णन भी है या यूं कहें कि इस महागाथा को कोई लघुरूप में भी सुनेगा तो भी इन पात्रों की अनदेखी नहीं कर सकता. पर ये बहुत कम लोग जानते हैं कि इन भाई बहनों के अलावा रावण का एक सौतेला भाई भी था. ये सौतेला भाई कोई और नहीं धन के देवता कुबेर थे. धन के देवता कुबेर.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, महर्षि पुलस्त्य ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे. उनका विवाह राजा तृणबिंदु की पुत्री से हुआ था. महर्षि पुलस्त्य के पुत्र का नाम विश्रवा था. विश्रवा मुनि का विवाह इड़विड़ा से हुआ. महर्षि विश्रवा के पुत्र का नाम वैश्रवण रखा गया. वैश्रवण का ही एक नाम कुबेर है. महर्षि विश्रवा की एक अन्य पत्नी का नाम कैकसी था. वह राक्षसकुल की थी. कैकसी के गर्भ से ही रावण, कुंभकर्ण व विभीषण का जन्म हुआ था. इस प्रकार रावण कुबेर का सौतेला भाई हुआ.
रामायण के अनुसार, कुबेर को उनके पिता मुनि विश्रवा ने रहने के लिए लंका प्रदान की. ब्रह्माजी ने कुबेर की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें उत्तर दिशा का स्वामी व धनाध्यक्ष बनाया था. साथ ही, मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान भी दिया था. कुबेर के प्रताप से ही लंका सोने की लंका बनकर जगमगाई. जिसे देखकर रावण का मन भी अभिभूत हो गया. सबसे शक्तिशाली बनने की चाहत तो रावण की थी ही लंका पर विजय पताका लहराकर वो उसके वैभव का मालिक भी बनना चाहता था.
विश्वविजय करने की लालसा के साथ रावण ने लंका पर भी आक्रमण किया. कुबेर और रावण में भयानक युद्ध भी हुआ. लेकिन रावण के बल के आगे कुबरे की एक न चली. रावण ने न सिर्फ लंका पर अपना आधिपत्य जमाया बल्कि कुबेर को भी बंदी बना लिया. किंवदंति तो ये है कि रावण ने अपने सिंहासन के नीचे ही कुबेर को बंदी बनाकर रखा. इस सोच के साथ कि जब तक कुबेर उसके बंदी रहेंगे तब तक दुनियाभर की धन दौलत और संपदा पर रावण का ही अधिकार होगा. बस इसलिए रावण हमेशा कुबेर को अपना बंदी बनाए रखना चाहता था. सिर्फ लंका ही नहीं रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान भी छीन लिया. बल में तो कुबेर फीके पड़ ही गए थे. लेकिन रावण को श्राप देने से नहीं चूके. जाते जाते रावण को श्राप भी दे डाला. जो बाद में उसकी मृत्यु का कारण भी बना.
इसी पुष्पक विमान पर बैठकर रावण ने सीता का हरण किया. रामजी को बाध्य किया कि वो लंका तक आएं. उसका वध करें और सीता को छुड़ा कर ले जाएं. रावण से इस युद्ध में भगवान राम ने न सिर्फ सीता का रक्षण किया बल्कि रावण के सिंहासन के नीचे बंदी बने कुबेर के प्राण भी बचाए. और लंका विजय के बाद जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे तब उसी पुष्पक पर सवार हो कर लौटे जो रावण ने कुबेर से छीना था. रावण की मृत्यु के बाद कुबेर के प्राण भी बचे और उनका श्राप भी पूरा हुआ.