अपनी ही पार्टी में अनदेखी के शिकार ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना ठिकाना भी बदलना पड़ा है. लुटियन दिल्ली में एक अरसे तक रहने वाले सिंधिया का नया ठिकाना अब आनंद लोक में होगा.
केंद्र की मोदी सरकार ने सिंधिया के उस अनुरोध को ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने बंगले का आवंटन बरकरार रखने की मांग की थी. सिंधिया परिवार लगभग 30 सालों से भी ज्यादा समय से इस बंगले पर काबिज था और इस बंगले के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया की कई यादें जुड़ी हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को यह बंगला आवंटित किया गया था उनके निधन के बाद 2002 में यही बंगला ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित कर दिया गया था. हालांकि 2004 में मोदी सरकार आने के बाद ही सिंधिया को यह बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था लेकिन उनकी बुआ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कहने पर उन्हें बंगला खाली नहीं करने की छूट मिल गई थी. लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद नियमों के मुताबिक बंगला खाली करना सिंधिया की मजबूरी था. हालांकि सिंधिया की कोशिश थी कि उन्हें एक्सटेंशन मिल जाए. ताकि वो राज्य सभा सांसद बनकर एक बार फिर संसद में जा सकें और बंगले में टिके रह सकें. पर फिलहाल तो सिंधिया को पार्टी कोई तवज्जो देने के मूड में दिख नहीं रही ऐसे में बंगला तो हात से जाना ही था.