दमोह में पिछले दो-तीन दिन से जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। दरअसल जिला पंचायत की उपाध्यक्ष रहीं रामबाई सिंह अब विधायक बन गई हैं और उनकी जगह पर नए उपाध्यक्ष का चुनाव होना था इसी दौरान सदस्य चंद्रावती अठ्या का अपहरण होने की खबर से सनसनी फैल गई। चंद्रावती चार दिन से गायब थीं और उनका मोबाइल भी बंद था। चंद्रावती अठ्या के पति ने विधायक रामबाई के साथ थाने में जाकर अपनी पत्नी के अपहरण की रिपोर्ट लिखाई और जिला पंचायत सदस्य ऋषि लोधी और संतोष अठया पर अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया। लेकिन बाद में चंद्रावती अठ्या खुद प्रकट हो गई और कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ था बल्कि वह अपनी मर्जी से गई थी। चंद्रावती ने बताया की उनके अपहरण की कहानी झूठी है और वह अपनी मर्जी से 4 दिन से जबलपुर में थी लेकिन मोबाइल बंद हो जाने की वजह से किसी से संपर्क नहीं हो सका इसके बाद पथरिया विधायक रामबाई ठाकुर एसडीएम कार्यालय पहुंची और उन्होने चंद्रावती को जबरन अपनी कार में बैठा कर ले जाने लगीं लेकिन पुलिस ने सख्ती दिखाई और चंद्रावती अठ्या को विधायक की गाडी से बाहर निकाला फिर उन्हे एसपी के आदेश पर जिला न्यायालय ले गई इसके बाद जिला न्यायाधीश के समय समक्ष धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाए गये। मंगलवार रात करीब 10:00 बजे तक जिला पंचायत सदस्य चंद्रवती अठया न्यायाधीश के कमरे में रही उसके बाद पुलिस संरक्षण में मीडिया के सामने आई लेकिन वे एक ही बात कहती रहीं कि ना तो उनका अपहरण हुआ ना ही किसी ने उन पर किसी ने कोई दबाव बनाया वह घर जाना चाहती हैं और उन्हें घर जाने दिया जाए।इस पूरे घटनाक्रम के बीच जिला पंचायत दमोह में उपाध्यक्ष पद के लिए कौशल्या मेमार को निर्विरोध चुन लिया गया। हालांकि इस सनसनीखेज मामले के बाद दमोह की राजनीति गरमा गई है क्योंकि वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के खिलाफ 12 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय करीब 9 सदस्यों ने लिया है जो कि कांग्रेस के समर्थक बताए जाते हैं ऐसे में भाजपा के सामने यह चुनौती खड़ी हुई है कि वह अपनी पार्टी से समर्थित अध्यक्ष की कुर्सी कैसे बचाएं क्योंकि प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया 35 वर्षों के बाद दमोह से चुनाव हारे हैं ऐसे में भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हारना नहीं चाहती है लेकिन इस राजनैतिक घटनाक्रम ने सभी की नींद उडा दी है।