मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के समय बसों के अधिग्रहण में करोड़ों रुपयों का गोलमाल किया गया था। इस मामले की जांच अब कमलनाथ सरकार करवा रही है। आरोप है कि पार्टी और सरकारी आयोजनों के लिए जनता को लाने के लिए जिन बसों का अधिग्रहण किया गया उसके भुगतान में करोड़ों का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में आरटीओ के अफसरों ने मिलीभगत करके कमीशन लेकर फर्जी बिलों पर करोड़ों का भुगतान कर दिया। 2016 से 2018 के तीन सालों के दौरान लगभग 32 कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने के लिए पब्लिक और कार्यकर्ताओं को बसों में भरकर लाया गया। इसके लिए जिला कलेक्टरों ने बसों के अधिग्रहण और उनके भुगतान के लिए गाइडलाइन तय की थी लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों ने गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों का भुगतान इन बस मालिकों को कर दिया। जानकारी के मुताबिक इन फर्जी बिलों में बसों की जगह ट्रकों का नंबर डालकर पेमेंट ले लिया गया वहीं 12 सीटर बस का बिल भी 52 सीटर के आधार पर ले लिया गया। एक ही व्यक्ति की ट्रेवल एजेंसी को करोड़ों रुपयों का भुगतान किया गया है। जिन कार्यक्रमों में बस अधिग्रहण का घोटाला हुआ है उनमें किसान सम्मेलन, भावांतर योजना, मुख्यमंत्री भ्रमण यात्रा, राज्य स्तरीय स्वच्छता समारोह जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। अब कमलनाथ सरकार इन घोटालों की फाइलें खुलवा रही हैं और सूत्रों की मानें तो बड़े-बड़े लोग इस घोटाले में नप सकते हैं।