आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिल्ली के 27, सफदरजंग रोड के बंगले को खाली करना पड़ेगा। केंद्र की मोदी सरकार ने सिंधिया के उस अनुरोध को ठुकरा दिया है जिसमें उन्होंने बंगले का आवंटन बरकरार रखने की मांग की थी। सिंधिया परिवार लगभग 30 सालों से भी ज्यादा समय से इस बंगले पर काबिज है और इस बंगले के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया की कई यादें जुड़ी हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को यह बंगला आवंटित किया गया था उनके निधन के बाद 2002 में यही बंगला ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित कर दिया गया था। हालांकि 2004 में मोदी सरकार आने के बाद ही सिंधिया को यह बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था लेकिन उनकी बुआ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कहने पर उन्हें बंगला खाली नहीं करने की छूट मिल गई थी। लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं और नियमों के मुताबिक उन्हें लोकसभा भंग होने के 1 महीने के भीतर यानी 25 जून को ही यह बंगला खाली कर देना था। लेकिन सिंधिया की कोशिश थी कि एकाध साल का एक्सटेंशन मिल जाता तो 2020 में वो एमपी से राज्यसभा के सांसद बनकर ये बंगला फिर अपने नाम आवंटित करवा लेते मगर ये हो न सका और आखिरकार सिंधिया को ये बंगला छोड़कर जाना पड़ेगा।