हालांकि बाबा सन्यासियों का सियासत से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए लेकिन पिछले कुछ समय से सियासत में बाबाओं का दखल बढ़ता जा रहा है। मध्यप्रदेश की सियासत भी इससे अछूती नहीं है। विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों की ओर से बाबाओं ने प्रचार की कमान संभाली थी और बीजेपी का पाला छोड़कर कंप्यूटर बाबा अपने चेलों के साथ कांग्रेस में आ गए थे वहीं मिर्ची बाबा जैसे बाबाओं ने खुले तौर पर कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था। एक और बाबा ने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार का इनाम नहीं मिलने पर आत्महत्या की धमकी दे डाली थी। कुल मिलाकर वर्तमान कांग्रेस सरकार में भी बाबाओं की सियासी भागीदारी कम नहीं हो रही है। अब जानकारी मिली है कि प्रदेश सरकार सितंबर के महीने में बाबाओं का एक बड़ा सम्मेलन राजधानी भोपाल में करवाने जा रही है। इस सम्मेलन के जरिए बाबाओं की सियासी उपयोगिता पर विचार किया जाएगा और सरकार में उनकी भागीदारी पर भी चर्चा हो सकती है। संत समागम के जरिए संतों को कांग्रेस के पक्ष में साधने की कोशिश भी होगी। पता चला है कि इस पूरे संत समागम का खाका कंप्यूटर बाबा ने तैयार किया है और इसके लिए धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा को भी तैयार कर लिया है।