भोपाल लोकसभा सीट पर मुकाबला दिन पर दिन दिलचस्प होता जा रहा है। कारण मुद्दे या दलों का प्रचार नहीं बल्कि इस सीट पर भगवा का मैदान में होना है । दिग्गी राजा के सामने साध्वी प्रज्ञा के कारण ये सीट बीजेपी की एसक्पेरिमेंटल सीट मानी जा रही थी। प्रचार की शुरूआत में ही प्रज्ञा ने श्राप क्या दे डाला दिग्गी राजा ने पूरी की पूरी भगवा फौज प्रज्ञा के खिलाफ खडी कर डाली। वहीं मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावो के पहले अचानक कांग्रेसी रंग में रंगे कम्पयूटर बाबा ने कई सारे साधु संतो के साथ न केवल भोपाल में तीन दिनों के लिए डेरा डाला बल्कि दिग्गी राजा के लिए यज्ञ- हवन भी कर डाला। वहीं अपने खिलाफ एक साथ इतने भगवा देख साध्वी ने तो पैतरा ही बदल डाला, श्राप से शुरू हुए प्रचार को छोड़ साध्वी ने राषट्रवाद का नारा लगा डाला। खैर बात राष्ट्रवाद और भगवा आतंक से शुरू होकर श्राप और हठयोग तक पहुंच चुकी है, कुल मिलाकर भोपाल की सियासी जंग दिन पर दिन दिलचस्प होती जा रही है। जनता दोनों पक्षों की ओर से खुद को ज्यादा हिंदूवादी होने के लिए किए जा रहे दांव पेंचों के मजे ले रही है। अब ये देखना और भी दिलचस्प होगा कि क्या साध्वी के श्राप से दिग्गी राजा भस्म होते हैं या कंप्यूटर बाबा के हवन में साध्वी स्वाहा होती हैं या खुद कंप्यूटर बाबा होम करते हाथ जला लेते हैं।