दमोह में कभी कद्दावर नेता रहे बाबाजी यानी कि रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी से इसलिए नाराज हुए थे कि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। बाबाजी बड़े जोर-शोर से राहुल गांधी के सामने कांग्रेस में शामिल हो गए थे और उन्हें पक्का यकीन था कि बीजेपी ने भले ही नहीं दिया लेकिन कांग्रेस उन्हें दमोह या खजुराहो से लोकसभा उम्मीदवार जरूर बनवाएगी। कहा जा रहा है कि बाबाजी ने बीजेपी को हराने की कई गुप्त रणनीतियां भी कांग्रेस को बताई थीं। बाबाजी की पोती की शादी में शामिल होने के लिए खुद सीएम कमलनाथ पहुंचे थे और तब ये तय माना जा रहा था कि बाबाजी ही कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। फिर कांग्रेस ने खजुराहो का टिकट नातीराजा की पत्नी कविता सिंह को दे दिया। तब भी बाबाजी को यकीन था कि दमोह से तो उनका टिकट पक्का ही है। लेकिन अचानक बीच में प्रकट हुए जबेरा विधायक प्रताप सिंह लोधी। अब दमोह संसदीय क्षेत्र में लोधी वोटरों की बहुतायत है जिसको देखते हुए कांग्रेस ने लोधी को दमोह से टिकट थमा दिया। वैसे राहुल गांधी भी बयान दे चुके थे कि पार्टी में पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा। तो बाबाजी को टिकट नहीं मिला। सुना है कि बाबाजी कांग्रेस के इस धोखे के बाद एक दूसरे बाबा के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचे ये दूसरे बाबा हैं कंप्यूटर बाबा। ये भी सुना है कि कंप्यूटर बाबा ने बाबाजी को सांत्वना दी है कि वे इस मामले में कुछ न कुछ करेंगे। अब कंप्यूटर बाबा क्या करेंगे ये पता नहीं। क्या कंप्यूटर बाबा दमोह या खजुराहो का टिकट बदलवा देंगे या कहीं और से बाबाजी को टिकट दिलवा देंगे। वैसे कांग्रेस की कुल जमा सात सीटें ही खाली हैं जिसमें कुसमरिया जी कहीं फिट होते नजर नहीं आते। एक बात और सुनी है कि कंप्यूटर बाबा तो खुद अपने लिए टिकट मांग रहे हैं कंप्यूटर बाबा का कहना है कि प्रदेश में कहीं से भी लड़ा दो लोकसभा चुनाव। अब जो खुद के लिए टिकट का जुगाड़ करने में जुटा हो वो पहले अपनी बात करेगा या दूसरे की ये समझ नहीं आ रहा। फिलहाल दमोह और बुंदेलखंड इलाके में कहा जा रहा है कि बाबाजी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में गए लेकिन घर के रहे न घाट के।