नगर के संगीत कलाकार जगदीश निमाडे द्वारा विदिशा में आयोजित एक कार्यक्रम में निमाड़ की लोकप्रिय विधा लोहतरंग की प्रस्तुति दी गई। रमैया वस्ता, मेने दिल तुझको दिया, मौसम है आशिकाना, जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। साथी कलाकार पारस गोरे ने भी ढोलक पर उनका साथ दिया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे। उन्होंने भी प्लेटस से बनी लोह तरंग से निकलती बॉलीवुड के सदाबहार गीतों की धुनो के माध्यम से नए-पुराने गीतों का संगीत सुन कर खुशी जाहिर की और निमाड़ की इस कला का बारे में जाना। नगर के युवा कलाकार जगदीश निमाडे की बहुत प्रशंसा की। और लोहतरँग से कैसे संगीत बजता है। उसके बारे में भी जानकारी निमाडे से हासिल की। और उनकी इस कला की बहुत प्रसंशा की। कलाकारों ने पूर्व मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी और फ़ोटो भी खिंचवाई। निमाडे ने उन्हें बताया की यह कला उनके पिता धरमचंद निमाड़े ने अपने गुरू स्वः गनपत भाउ पांजरे खरगोन द्वारा सीख कर इसे इजात किया था। वह इसे 25 साल से इसे सहेजने में लगें है। तथा गुरव समाज के कलाकर इसे बजाते है। और केवल यह कला सनावद शहर में ही पायी जाती है। श्री निमाड़े ने कहा लौह तरंग पर निमाड़ी व गरबी लोक धुन बजाई जा सकती है। साथ ही राग मालकोंस, भोपाली, दरबारी, यमन, केदार राग बजाए जा सकते हैं। वह महाराष्ट्र, गुजरात, पूना, हैदाराबाद, औरंगाबाद, नई दिल्ली, कोलकाता सहित कई बड़े शहरों में प्रस्तुति दे चुके है। उनके पिता अटलबिहारी वाजपेयी, अरूण जेटली, लालकृष्ण आडवाणी सहित दिग्गज नेताओं के समक्ष प्रस्तुति दे चुके है। प्रधानमंत्री मोदी एवं जापानी प्रधानमंत्री भी इस वाद्य यंत्र की सराहना कर चुकें है। निमाड़ क्षेत्र से ही इस कला की शुरुआत हुई है। और ज्यादातर गुरव समाज के लोग इस कला के जरिये अपनी सेवाएं दे रहे है। लोहतरँग 24 आयरन प्लेटस बेल को एक स्टैंड मे सजाकर इसे लकड़ी की हथौड़ी या लोहे की स्टिक से बजाया जाता है। जिसमे संगीत निकलता है वर्तमान के डीजे साउंड की गूंज में भी इसकी मधुर धुन गुम हो रही है। उनके पिता इस कला को संरक्षण करने में लगे है केवल गुरव समाज के युवा कलाकारो द्वारा इसे बचा कर रखा हुआ है जो कि केवल सनावद शहर में ही मौजूद है।सनावद से विवेक विद्यार्थी की रिपोर्ट