जानिए, पितृपक्ष में क्यों किया जाता है तर्पण

कल से श्राद्ध पक्ष की शुरूआत हो रही है. इन दिनों में अपनें पूर्वजों को श्राद्ध अर्पित किया जाता हैं. श्रद्धा में ब्रहाम्णों को भोजन कराते हैं और दान करते हैं. ऐसा करने से आपके पूर्वज आपको सुख व समृद्धि के सहित आशीर्वाद देते है. श्राद्ध पक्ष में तर्पण करना बहुत ही आवश्यक होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को 16 दिन नित्य तर्पण करना चाहिए. तर्पण-प्रत्येक दिन मध्यान्ह 12 बजे से 1:30 मिनट के मध्य तर्पण करना उत्तम रहेगा…

तर्पण विधि
पीतल की थाली में विशुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़े काले तिल व दूध डालकर अपने समक्ष रख लें एंव उसके आगे दूसरा खाली पात्र रख लें. तर्पण करते समय दोनों हाथ के अंगूठे और तर्जनी के मध्य कुश लेकर अंजली बना लें अर्थात दोनों हाथों को परस्पर मिलाकर उस मृत प्राणी का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरा हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें. एक-2 व्यक्ति के लिए कम से कम तीन-तीन अंजली तर्पण करना उत्तम रहता है.

‘ऊॅत्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्
इस मन्त्र की 2 माला जाप करने के पश्चात पूजन स्थान पर रखें हुये जल के थोड़े भाग को ऑखों में लगायें, थोड़ा जल घर में छिड़क दें और बचे हुये जल को पीपल के पेड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मक उर्जा निकल जायेगी और घर की लगभग हर प्रकार की समस्या से आप मुक्त हो जायेंगे.

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