दमोह के कुंडलपुर में जन्माष्टमी के पहले ही जमकर जश्न मना। ये जश्न देवी रुक्मणी के 17 साल बाद वापस कुंडलपुर लौटने का था। देवी रुक्मणी की मूर्ति को कई सालों के बाद ग्यारसपुर से कुंडलपुर लाया गया। जैसे ही लोगों को मूर्ति वापस आने की जानकारी मिली तो तीन गुल्ली, घंटाघर चौराहे पर दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोगों ने जयकारे लगाए और फूल और माला के साथ रुक्मणी देवी के दर्शन किए। इधर मूर्ति दमोह वापस लाने का श्रेय लेने को लेकर बीजेपी और कांग्रेसियों में होड़ लग गई है। दरअसल लगभग साढ़े सत्रह साल पहले कुंडलपुर के रुक्मणी मठ से देवी रुक्मणी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। दमोह की इस प्राचीन विरासत के चोरी होने के मामले ने काफी तूल पकड़ा था और मामला विधानसभा और लोकसभा में भी उठा था। हालांकि चोरी होने के सालभर बाद मूर्ति के राजस्थान के हिंडोन जिले से बरामद कर लिया गया था लेकिन तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस सरकार ने मूर्ति को कुंडलपुर भेजने की जगह विदिशा के ग्यारसपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के स्टोर रूम में रखवा दिया था। कई सालों तक लोगों को इस मूर्ति के बारे में जानकारी नहीं थी। 2017 में सांसद प्रहलाद पटेल ने इस प्रतिमा को दमोह वापस लाने का संकल्प लिया और खोजबीन कराई, तो उन्हें यह प्रतिमा ग्यारसपुर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के स्टोर रूम में रखी होने की जानकारी मिली। पटेल ने जाकर देखा तो यह मूर्ति स्टोर रूम में कबाड़ की तरह पड़ी थी। प्रहलाद पटेल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को मूर्ति की वापसी के लिए लेटर लिखा था। तब विधानसभा चुनाव के दौरान चौहान ने भी प्रतिमा वापसी की घोषणा की थी। जैसे ही सांसद प्रहलाद पटेल केंद्र सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बने थे, तभी से मूर्ति के कुंडलपुर लौटने के चांस बढ़ गए थे। फिलहाल पांच साल तक ये मूर्ति दमोह के रानी दमयंती संग्रहालय में रखी जाएगी।