जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति का पर्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करता है और उत्तर दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है और इसके बाद से दैवीय कृपा में बढ़ोत्तरी होने लगती है। इस साल मकर संक्रांति के स्नान का मुहूर्त 14 जनवरी के बजाय 15 जनवरी को होगा। दरअसल14 जनवरी को देर रात में सूर्य राशि बदलेगा, इस कारण अगले दिन यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन से सूर्य तिल तिल करके बढ़ता है इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का काफी महत्व है। इस दिन तिल का अनेक तरह से उपयोग करना चाहिए औऱ दान करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं. आनंद शंकर व्यास के अनुसार मकर संक्रांति पर अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग भी रहेगा। ये तीनों ही योग शुभ माने गए हैं। इन योगों में पूजा-पाठ करने से शुभ फल मिलने के योग बनते हैं।सूर्य के मकर राशि में आने से मलमास समाप्त होगा। जिससे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। ज्योतिष के मुताबिक जब सूर्य मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में रहता है तो यह उत्तरायण होता है और जब कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में होता है तो दक्षिणायन होता है। मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने से पुण्य मिलता है। नहीं तो घर पर ही तिल का उबटन लगाकर या पानी में तिल डालकर सभी पवित्र नदियों और तीर्थों का नाम लेते हुए स्नान करें और ओम सूर्याय नम: का 108 बार जाप करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान को तिल का भोग लगाएं और तिल का दान करें।