जबलपुर के इंजीनियर गणेश विश्वकर्मा ने अग्निपुराण के श्लोकों को आधुनिक विज्ञान के हिसाब से डिकोड किया है। विश्वकर्मा के मुताबिक अग्निपुराण के अध्याय 120 में श्लोक 21 में बताया गया है कि सूर्यदेव के रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। जिसको किलोमीटर में बदलें तो लगभग 1,17,000 किलोमीटर होता है। ये आधुनिक वैज्ञानिकों की बताई गई सूर्य की कोर की माप के लगभग बराबर ही है। यानी जिसे आधुनिक वैज्ञानिक सूर्य का कोर कहते हैं उसे ऋषियों ने सूर्यदेव के बैठने का स्थान कहा है। इसी तरह सूर्य के रथ के अलग अलग हिस्सों का वर्णन अग्नि पुराण में है और उनका माप लगभग वही है जो आधुनिक वैज्ञानिकों ने अब गणना करके बताया है। विश्वकर्मा के मुताबिक अग्नि पुराण के अध्याय 120 के श्लोक 26 में सूर्य के सात घोड़ों का वर्णन है और ये 7 घोड़े और कुछ नहीं हैं बल्कि आधुनिक विज्ञान द्वारा खोजे गए प्रकाश के सात वर्ण ही हैं। इन सातों रंग सफेद रंग में छिपे रहते हैं।